हलासन
इस आसन को हलासन कहा जाता है क्योंकि इसकी अंतिम मुद्रा में शरीर भारतीय हल के समान दिखता है। अगर इस योगाभ्यास को सही तरीके से किया जाए तो सेहत के लिहाज से यह बहुत ही फायदेमंद योगाभ्यास साबित हो सकता है। यह आसन मोटापा को कम करते हुए मधुमेह, थयरॉइड आदि के लिए बहुत लाभकारी है। चूँकि इस की आकृति हल के सामान लगती है इसलिए इसको Plow Pose Yoga भी कहते हैं। हलासन करना उतना भी आसान नहीं है। जो इस आसन को न कर पाए उन्हें अर्द्धहलासन करना चाहिए।
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विधि:-
  1. योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। 
  2. अपने हाथों को शरीर से सटा लें। हथेलियां जमीन की तरफ रहेंगी। 
  3. सांस भीतर की ओर खींचते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं।
  4. टांगे कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगी। दबाव पेट की मांसपेशियों पर रहेगा। 
  5. टांगों को ऊपर उठाते हुए अपने हाथों से कमर को सहारा दें।
  6. सीधी टांगों को सिर की तरफ झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। 
  7. पैरों के अंगूठे से जमीन को छुएंगे। 
  8. हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें। हथेली नीचे की तरफ रहेगी। 
  9. कमर जमीन के समानांतर रहेगी।
  10. इसी स्थिति में एक मिनट तक बने रहें सांसों पर ध्यान केंद्रित करें सांस छोड़ते हुए, टांगों को वापस जमीन पर ले आएं।
  11. आसन को छोड़ते हुए जल्दबाजी न करें। टांगों को एक समान गति से ही सामान्य स्थिति में वापस लेकर आएं। 
लाभ :- 

1.हलासन पाचन तंत्र के अंगों की मसाज करता है और पाचन सुधारने में मदद करता है। 

2. मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है। 

3. डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेस्ट आसन है क्योंकि ये शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। 

4. ये रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता और कमर दर्द में आराम देता है। 

5. ये स्ट्रेस और थकान से निपटने में भी मदद करता है। 

6. इस आसन के अभ्यास से दिमाग को शांति मिलती है। 

7. इस आसन से रीढ़ की हड्डी और कंधों को अच्छा खिंचाव मिलता है। 

8. ये थायरॉयड ग्रंथि से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करने में मदद करता है। 

9. ये कमर दर्द, नपुंसकता, साइनोसाइटिस, इंसोम्निया और सिरदर्द में भी फायदा पहुंचाता है।